Roz

Emotional Soulful Song by Sifar

Sifar

12/7/2025

शब्दों का ये ताना बाना बुनता लिखता पढ़ता रोज़ (2)

लिखा हुआ था फटता मुड़ता कोरा कागज़ बनता रोज़.

क्या लिखूं जो तुझ तक आए

कौन शब्द मेरा हाल जताए

और जो थोड़े लम्हे जिए थे

यादें बन आंखो में समाए

बेबाक थी जो बाते सारी खुद ही खुद से करता रोज़

लिखा हुआ था फटता मुड़ता कोरा कागज़ बनता रोज़

उब गया बातों से सारी

चलती रहेगी दुनियादारी

में भी तू भी अंधे बन कर

उठा लेंगे सब ज़िम्मेदारी

अकेले ही यूं लड़ता गिरता उठता चलता मरता रोज़

शाम को भूल के बातें सारी कोरा कागज़ बनता रोज़

शाम को भूल के बातें सारी कोरा कागज़ बनता रोज़

शाम को भूल के बातें सारी कोरा कागज़ बनता रोज़